उत्तराखंड वन विभाग ने लॉन्च किया फॉरेस्ट फायर मोबाइल ऐप, इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर से होगी मॉनिटरिंग..
उत्तराखंड: गर्मियां शुरू होते ही जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे वन संपदा, जैव विविधता और पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। यह वन विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन जाती है। इस साल वन विभाग ने इस समस्या से निपटने के लिए व्यापक तैयारियां कर ली हैं। इसी को लेकर शनिवार को प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) धनंजय मोहन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और अपनी रणनीति साझा की। प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) धनंजय मोहन का कहना हैं कि आग से निपटने के लिए वन विभाग पूरी तरह तैयार है। जंगलों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए मॉनिटरिंग और रैपिड एक्शन फोर्स तैयार की गई है। सैटेलाइट मॉनिटरिंग और आधुनिक तकनीकों की मदद से जंगलों की निगरानी होगी। स्थानीय लोगों और वन कर्मियों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। उत्तराखंड के जंगलों को बचाने के लिए वन विभाग की यह पहल अहम साबित हो सकती है। अगर सभी स्तरों पर सतर्कता और सहयोग बना रहा, तो जंगलों में आग की घटनाओं को काफी हद तक रोका जा सकता है।
प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन का कहना हैं कि मुख्यालय स्तर पर इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (ICCC) और राज्य में सूचना, चेतावनी एवं प्रबंधन प्रणाली को मजबूत करने के उद्देश्य से फॉरेस्ट फायर मोबाइल ऐप विकसित किया गया है। इस ऐप की मदद से राज्यों में मानव-वन्यजीव संघर्ष, वनाग्नि, अवैध कटान, अतिक्रमण, अवैध शिकार से संबंधित शिकायतें भी ICCC के माध्यम से दर्ज की जाएंगी। इसके लिए वन विभाग ने इंटीग्रेटेड हेल्पलाइन नंबर 1926 भी जारी किया है।
पिछले 3 सालों में इस साल मिले सबसे कम अलर्ट..
उत्तराखंड वन विभाग ने जंगल की आग, मानव-वन्यजीव संघर्ष, अवैध कटान, अतिक्रमण और अवैध शिकार जैसी घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई के लिए फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल ऐप और इंटीग्रेटेड हेल्पलाइन नंबर 1926 लॉन्च किया है। अब सभी नागरिक इस ऐप और हेल्पलाइन के माध्यम से वनाग्नि और अन्य वन संबंधी घटनाओं की शिकायत दर्ज करा सकेंगे। एफएसआई (Forest Survey of India) के पिछले तीन सालों के आंकड़ों के अध्ययन में पाया गया है कि इस साल आग लगने की घटनाओं में सबसे कम अलर्ट प्राप्त हुए हैं, जो कि एक सकारात्मक संकेत है। आग पर काबू पाने के लिए नई तकनीकों और जागरूकता अभियानों का सकारात्मक असर दिख रहा है।
10 रुपए प्रति किलो खरीदा जा रहा पीरूल
इसके साथ ही देश के सभी राज्यों के लिए 1 नवंबर 2024 से 26 मार्च 2025 तक एफएसआई द्वारा नियर रियल टाइम फायर अलर्ट की सूची में उत्तराखंड 15वें स्थान पर है। राज्य में वनों की आग पर नियंत्रण के लिए चीड़ पीरूल एकत्रीकरण कार्य में स्थानीय लोगों को सीधे तौर पर शामिल करने और आजीविका बढ़ाने के लिए सरकार ने पूर्व में निर्धारित 3 रुपए प्रति किलो की दर को संशोधित कर 10 रुपए प्रति किलो कर दिया है। वन संरक्षक ने कहा कि वनों की आग की घटनाओं के दृष्टिगत राज्य के अति संवेदनशील और संवेदनशील वन क्षेत्रों में मौसम पूर्वानुमान केन्द्र स्थापित करने के लिए मौसम विभाग के साथ एमओयू भी हस्ताक्षरित किया गया है।

