raibarexpress Blog उत्तराखंड ओंकारेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या 32 हजार के पार, मानसून में भी नहीं टूटी आस्था..
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ओंकारेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या 32 हजार के पार, मानसून में भी नहीं टूटी आस्था..

ओंकारेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या 32 हजार के पार, मानसून में भी नहीं टूटी आस्था..

 

उत्तराखंड: भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। मंदिर समिति से मिली जानकारी के अनुसार अब तक कुल 32,974 तीर्थयात्री भगवान शिव के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर चुके हैं। केदारनाथ घाटी में मानसून की वापसी के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं आई है। हर दिन सैकड़ों भक्त ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं। भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में 18,427 पुरुष, 12,636 महिलाएं, 1,793 बच्चे और 118 विदेशी पर्यटकों सहित 32,974 तीर्थयात्रियों ने भगवान केदारनाथ की पूजा-अर्चना कर भगवान का आशीर्वाद लिया। गौरतलब है कि शीतकाल के दौरान जब केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होते हैं, तब भगवान केदारनाथ की उत्सव डोली को उनके शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ में स्थापित किया जाता है। यहां छह महीने तक विशेष पूजा-अर्चना होती है।

मंदिर समिति के अनुसार तीर्थयात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है और व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित की जा रही हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा, भोजन, आवास और चिकित्सा की समुचित व्यवस्था की गई है। रुद्रप्रयाग के उखीमठ में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर बाबा केदार और मध्यमहेश्वर का शितकालीन निवास स्थान है। माना जाता है की जो भी व्यक्ति केदारनाथ और मध्यमहेश्वर जाकर भगवान शिव के दर्शन नहीं कर पाता वो अगर शीतकाल में आकर ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार और मध्यमहेश्वर के दर्शन कर ले तो उसकी चारों धामों कि यात्रा पूरी हो जाती है। कहा जाता है कि यहां भगवान कृष्ण के पोते अनिरुद्ध और उषा का विवाह हुआ था। इस कथा से जुड़ा यह स्थल पौराणिक प्रेम, आस्था और मिलन का प्रतीक भी बन गया है। नवंबर माह में जब केदारनाथ और मध्यमहेश्वर धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाते हैं, तो भगवान शिव की उत्सव डोली को ओंकारेश्वर मंदिर लाया जाता है। यहां छह माह तक विशेष पूजन-अर्चन होता है। इसी दौरान हजारों श्रद्धालु बर्फबारी के बीच भी दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं।

 

 

 

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