आपदा से तबाह उत्तराखंड का दौरा करेगी केंद्र सरकार की टीम, आपदा प्रभावित जिलों का करेगी निरीक्षण..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में हालिया प्राकृतिक आपदा से हुई भारी तबाही के बाद अब केंद्र सरकार की अंतर मंत्रालयीय टीम सोमवार को उत्तराखंड दौरे पर आ रही है। यह टीम आपदा प्रभावित जिलों का स्थलीय निरीक्षण कर वास्तविक नुकसान का आकलन करेगी और आर्थिक सहायता पैकेज के लिए आधार तैयार करेगी। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने जानकारी दी कि केंद्र की यह टीम आपदा प्रभावित जिलों का दौरा करने के साथ-साथ शासन स्तर पर बैठक भी करेगी। बैठक में राज्य सरकार स्थिति की पूरी जानकारी साझा करेगी और अब तक हुए नुकसान का विस्तृत ब्योरा पेश करेगी। सचिव आपदा प्रबंधन ने कहा कि आपदा से राज्य को हुए नुकसान का वास्तविक आकलन करने के लिए जल्द ही पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट (PDNA) प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत प्रभावित क्षेत्रों का गहन अध्ययन कर राज्य को पुनर्निर्माण एवं पुनर्प्राप्ति के लिए आवश्यक आर्थिक सहयोग की आवश्यकता का निर्धारण किया जाता है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही केंद्र सरकार से विशेष सहायता राशि तय की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि इससे राज्य को न केवल पुनर्निर्माण कार्यों में तेजी लाने में मदद मिलेगी, बल्कि प्रभावित परिवारों और बुनियादी ढांचे की तेजी से बहाली भी सुनिश्चित हो सकेगी। राज्य सरकार को उम्मीद है कि केंद्र से मिलने वाला आर्थिक पैकेज आपदा से प्रभावित सड़कों, पुलों, भवनों और अन्य संसाधनों की मरम्मत व पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही प्रभावित जिलों में जीवन को पटरी पर लाने की प्रक्रिया को भी गति मिलेगी।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के विभागाध्यक्ष राजेंद्र सिंह और सचिव मनीष भारद्वाज ने आश्वासन दिया है कि आपदा से प्रभावित उत्तराखंड को हरसंभव आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। सचिव आपदा प्रबंधन ने कहा कि केंद्र सरकार का यह सहयोग राज्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा। वर्तमान में आपदा से व्यापक क्षति हुई है और तत्काल वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता है। ऐसे समय में केंद्र से मिली यह सहमति राज्य के पुनर्निर्माण कार्यों को गति देने में सहायक होगी। सचिव ने कहा कि इस साल अब तक 574 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो पिछले कई वर्षों की तुलना में सबसे अधिक है। भारी बारिश के कारण जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हुआ है और कई जिलों में हालात बेहद गंभीर बने। लगातार बारिश और भूस्खलन के चलते प्रदेश की सड़कें, पुल, भवन और अवस्थापना संरचनाएं बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह आपदा राज्य की अर्थव्यवस्था और विकास कार्यों पर गहरा असर डाल सकती है। राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र से मिलने वाली आर्थिक मदद से न केवल क्षतिग्रस्त संरचनाओं की मरम्मत और पुनर्निर्माण में तेजी आएगी, बल्कि प्रभावित परिवारों को भी शीघ्र राहत पहुंचाई जा सकेगी।
सचिव आपदा प्रबंधन ने जानकारी दी कि टीम उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पौड़ी, बागेश्वर और नैनीताल जैसे सबसे अधिक प्रभावित जिलों का स्थल निरीक्षण करेगी। केंद्रीय टीम को दो हिस्सों में बांटा जाएगा, ताकि अलग-अलग जिलों का प्रभावी निरीक्षण किया जा सके। टीम के सदस्य प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर वास्तविक नुकसान की रिपोर्ट तैयार करेंगे, जिसके आधार पर केंद्र सरकार आर्थिक सहायता और पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक कदम उठाएगी। इस टीम का नेतृत्व गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव आर. प्रसना करेंगे। उनके नेतृत्व में टीम प्रभावित जिलों की वस्तुस्थिति और क्षति की गंभीरता का विस्तृत आकलन करेगी। सचिव आपदा प्रबंधन ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्रीय टीम के दौरे के लिए मिनट-टू-मिनट कार्यक्रम तैयार कर लिया है। सभी जिलों में प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया है ताकि टीम को वास्तविक स्थिति का सही अंदाजा मिल सके और दौरे के दौरान किसी भी तरह की बाधा न आए। टीम का यह दौरा राज्य के लिए बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि इससे आपदा से हुए वास्तविक नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट सामने आएगी। इसी आधार पर केंद्र से मिलने वाली विशेष सहायता राशि तय की जाएगी, जिससे पुनर्निर्माण और राहत कार्यों को गति मिलेगी।
उत्तराखंड इस साल मानसून सीजन में भारी आपदा की मार झेल रहा है। लगातार बारिश और भूस्खलन से जहां सड़कें, पुल और भवन ध्वस्त हुए हैं, वहीं कई जगहों पर आजीविका भी प्रभावित हुई है। इसी गंभीर स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र से 5702.15 करोड़ रुपये की विशेष वित्तीय सहायता का अनुरोध किया है। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि प्रस्तावित राशि में से 1944.15 करोड़ रुपये उन परिसंपत्तियों के पुनर्निर्माण और पुनर्प्राप्ति पर खर्च किए जाएंगे, जो आपदा से पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। इनमें सड़कें, पुल, भवन और अन्य सार्वजनिक ढांचे शामिल हैं। शेष 3758.00 करोड़ रुपये का उपयोग उन परिसंपत्तियों, मार्गों, आबादी वाले क्षेत्रों और अवस्थापना संरचनाओं को स्थिर करने के लिए किया जाएगा, जो आपदा के कारण क्षति की कगार पर हैं।
इससे भविष्य में संभावित नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकेगा और प्रदेश की आपदा प्रबंधन क्षमता मजबूत होगी। सचिव ने यह भी कहा कि आपदा के कारण कई परिवारों और व्यक्तियों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है। ऐसे प्रभावित परिवारों की सहायता के लिए केंद्र सरकार को एक अलग प्रस्ताव भेजा जाएगा, ताकि उन्हें पुनः आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें। राज्य सरकार का यह प्रस्ताव केंद्र के सामने रखने के बाद अब उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्र से मिलने वाली विशेष सहायता प्रदेश के लिए बड़ी राहत साबित होगी। इससे न केवल वर्तमान आपदा से हुए नुकसान की भरपाई हो सकेगी, बल्कि भविष्य में भी संरचनाओं को आपदा-प्रभावी बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।

