raibarexpress Blog उत्तराखंड उत्तराखंड में तस्करों पर कसा जाएगा शिकंजा, केंद्रीय एजेंसियों संग मिलकर बनी बड़ी रणनीति..
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उत्तराखंड में तस्करों पर कसा जाएगा शिकंजा, केंद्रीय एजेंसियों संग मिलकर बनी बड़ी रणनीति..

उत्तराखंड में तस्करों पर कसा जाएगा शिकंजा, केंद्रीय एजेंसियों संग मिलकर बनी बड़ी रणनीति..

 

उत्तराखंड: उत्तराखंड में जंगलों और वन्य जीवों को निशाना बनाने वाले तस्करों के खिलाफ अब बड़ा अभियान चलाया जाएगा। वन विभाग ने इस दिशा में केंद्रीय और राज्य स्तरीय एजेंसियों के साथ मिलकर रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है। इसका उद्देश्य न सिर्फ तस्करों पर कानूनी कार्रवाई करना है, बल्कि उनकी आर्थिक कमर तोड़ना भी है, ताकि इस अवैध धंधे को पूरी तरह रोका जा सके। विभागीय सूत्रों के अनुसार वन विभाग ने हाल ही में केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय बैठकों का दौर शुरू किया है। इसके साथ ही राज्य की विभिन्न जांच एजेंसियों से भी सहयोग मांगा जा रहा है, ताकि अभियान और अधिक प्रभावी बनाया जा सके। हाल के दिनों में अवैध वेनम सेंटर (साँप का जहर निकालने वाली इकाई) का मामला सामने आने के बाद वन विभाग ने अपनी कार्रवाई और तेज कर दी है।

टीम ने उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों तक दबिश दी है और कई संदिग्ध गतिविधियों पर निगरानी रखी जा रही है। वन विभाग की नई रणनीति में यह तय किया गया है कि तस्करों को केवल कानूनी मामलों तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि उनकी आर्थिक गतिविधियों की भी जाँच होगी। इसके लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य वित्तीय एजेंसियों से भी सहयोग लेने की योजना है। अधिकारियों का कहना है कि इस अभियान से जंगल और वन्य जीवों को अवैध शिकार व तस्करी से बचाने में मदद मिलेगी। विभाग का लक्ष्य है कि आने वाले समय में तस्करों को ऐसा कोई रास्ता न बचे जिससे वे अपने नेटवर्क को चला सकें।

सभी एजेंसियों के साथ रणनीति बना रहा वन विभाग
वन विभाग के एडिशनल एपीसीसीएफ विवेक पांडे का कहना है कि इस पूरे अभियान को लेकर एक बैठक हो चुकी है, जिसमें वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो समेत अन्य एजेंसियों ने सूचनाएं साझा करने पर सहमति जताई है। विभाग का मानना है कि इस तरह की संयुक्त कार्रवाई बेहद जरूरी है, क्योंकि उत्तराखंड के जंगलों में वन्य जीवों की बड़ी संख्या मौजूद है और तस्करों की निगाहें लगातार इन पर बनी रहती हैं। वन विभाग के एडिशनल एपीसीसीएफ विवेक पांडे ने कहा कि इस पूरे अभियान को लेकर हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक हो चुकी है।

इसमें वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो समेत अन्य एजेंसियों ने सूचनाएं साझा करने और संयुक्त कार्रवाई पर सहमति जताई है। उनका कहना है कि इस तरह का सहयोग बेहद जरूरी है क्योंकि उत्तराखंड के जंगलों में वन्यजीवों की बड़ी संख्या मौजूद है और तस्करों की नजर लगातार उन पर बनी रहती है।

 

 

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