HC में उत्तरकाशी NIM गड़बड़ी मामले पर सुनवाई, सरकारों से जवाब मांगा..
उत्तराखंड: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) में वर्ष 2018 से 2022 के बीच हुई कथित अनियमितताओं के मामले पर गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य और केंद्र सरकार से विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारें पूरा रिकॉर्ड और तथ्यों के साथ अपना पक्ष रखें। जनहित याचिका दायर करने वाले दिनेश चंद्र उनियाल ने अदालत को कहा कि NIM में चार वर्षों के दौरान प्रशासनिक अनियमितताओं के साथ-साथ रोजगार देने के नाम पर बड़े पैमाने पर घपले किए गए।
उन्होंने कोर्ट से मांग की कि इन आरोपों की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए ताकि संस्थान में पारदर्शिता बहाल हो सके। वहीं राज्य और केंद्र सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि संस्थान में किसी प्रकार की अनियमितता नहीं हुई है और याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने सरकारों को अपना विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई सरकार द्वारा जवाब प्रस्तुत करने के बाद होगी, जिसमें कोर्ट आगे की कार्रवाई तय करेगा।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने NIM में 2018 से 2022 के बीच कथित अनियमितताओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर अहम सुनवाई की। याचिका में आरोप लगाए गए रजिस्ट्रार को पक्षकार नहीं बनाया गया था, जबकि पहले से ही कैग ने इस प्रकरण की जांच कर ली है और उसकी रिपोर्ट में किसी तरह की अनियमितता की पुष्टि नहीं हुई। राज्य और केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं और इस मामले को निरस्त किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से आरोपों के आधार पर अपना विस्तृत जवाब प्रस्तुत करने को कहा है। अगली सुनवाई तभी होगी जब दोनों सरकारें अपना पक्ष अदालत में रखेंगी।
इस बीच उत्तराखंड हाईकोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी और सुगम बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कोर्ट ने वकीलों के लिए ‘पैनल मीडिएटर्स’ का नया पैनल गठित किया है। इस पैनल में कुल 25 अधिवक्ताओं को शामिल किया गया है, जिनका कार्यकाल और प्रदर्शन सालाना आधार पर उनके द्वारा सफलतापूर्वक निपटाए गए मामलों की सफलता दर के आधार पर आंका जाएगा। यह पहल मध्यस्थों को मामलों का शीघ्र और प्रभावी समाधान करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। हाईकोर्ट की इस नई पहल से न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ने और मुकदमों के समय पर निपटारे में मदद मिलने की उम्मीद है, जबकि NIM मामले में सरकारों के जवाब के बाद ही अदालत अगली कार्रवाई करेगी।

