उत्तराखंड में घूमना होगा महंगा, बाहरी राज्यों के वाहनों पर लगेगा ग्रीन सेस..
उत्तराखंड: अगर आप उत्तराखंड घूमने का प्लान बना रहे हैं तो यह खबर आपके लिए जरूरी है। अब देवभूमि की सैर पहले से महंगी पड़ सकती है। प्रदेश की धामी सरकार ने राज्य में दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों पर ग्रीन सेस (Green Cess) लागू करने की तैयारी पूरी कर ली है। इस संबंध में शासन की ओर से आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। राज्य के गठन के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सरकार ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह ऐतिहासिक पहल की है। ग्रीन सेस से होने वाली आय का उपयोग प्रदेश में वायु प्रदूषण नियंत्रण, हरित अवसंरचना निर्माण और स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट जैसे कार्यों में किया जाएगा। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य उत्तराखंड को “स्वच्छ वायु–स्वस्थ जीवन” की दिशा में अग्रसर करना है। उनका कहना है कि तेजी से बढ़ते पर्यटन और वाहन संख्या के कारण प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाना जरूरी हो गया है। सरकार का मानना है कि इस नीति से एक ओर पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी, वहीं दूसरी ओर पर्यटन स्थलों पर ट्रैफिक प्रबंधन में भी सुधार आएगा। ग्रीन सेस से संबंधित दरों और लागू करने की प्रक्रिया जल्द परिवहन विभाग की ओर से अधिसूचित की जाएगी। माना जा रहा है कि यह सेस राज्य में प्रवेश करने वाले निजी, वाणिज्यिक और पर्यटक वाहनों पर लागू होगा। इस पहल से उत्तराखंड न सिर्फ स्वच्छता और पर्यावरण सुरक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल कायम करेगा, बल्कि अन्य पर्वतीय राज्यों के लिए भी एक आदर्श मॉडल बनेगा।
ग्रीन सेस में किन वाहनों की मिलेगी छूट ?
उत्तराखंड सरकार ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों पर “ग्रीन सेस” लगाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय प्रदेश में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और हरित अवसंरचना को सशक्त बनाने के उद्देश्य से लिया गया है। सरकार की ओर से जारी आदेश के अनुसार यह सेस अन्य राज्यों से आने वाले निजी और वाणिज्यिक वाहनों से वसूला जाएगा। हालांकि, इलेक्ट्रिक, हाइड्रोजन, सोलर और बैटरी चालित वाहनों को इस कर से पूरी तरह छूट दी गई है, ताकि स्वच्छ ऊर्जा आधारित परिवहन को बढ़ावा मिल सके। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB) के सदस्य सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते ने कहा कि इस कदम से राज्य को करीब 100 करोड़ रुपये की सालाना आय होने का अनुमान है। यह राशि वायु निगरानी, सड़क धूल नियंत्रण, हरित क्षेत्र विस्तार और स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम के विकास पर खर्च की जाएगी। बोर्ड के अध्ययन के अनुसार देहरादून की वायु गुणवत्ता पर सबसे बड़ा असर सड़क की धूल (55%) का है, जबकि वाहनों से होने वाला उत्सर्जन (7%) भी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। डॉ. धकाते ने कहा कि “ग्रीन सेस” से मिलने वाले राजस्व का उपयोग सड़क धूल नियंत्रण और स्वच्छ वाहन नीति को लागू करने में किया जाएगा, जिससे शहरों की वायु गुणवत्ता में ठोस सुधार की उम्मीद है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उत्तराखंड तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत सरकार के “स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2024” में उत्तराखंड के शहरों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए ऋषिकेश को राष्ट्रीय स्तर पर 14वां और देहरादून को 19वां स्थान दिलाया है। यह उपलब्धि उत्तराखंड के सतत प्रयासों और वायु गुणवत्ता सुधार के लिए उठाए गए ठोस कदमों का प्रमाण है। अब धामी सरकार इस उपलब्धि को और सुदृढ़ करने के लिए ग्रीन सेस से प्राप्त होने वाली राशि का उपयोग वायु प्रदूषण नियंत्रण और हरित विकास परियोजनाओं पर करेगी। ग्रीन सेस के तहत अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों से शुल्क वसूला जाएगा, जबकि इलेक्ट्रिक, सोलर, हाइड्रोजन और बैटरी चालित वाहनों को इससे छूट दी जाएगी। राज्य सरकार के अनुसार इस पहल से न केवल राज्य की वायु गुणवत्ता (AQI) में सुधार होगा, बल्कि पुराने और प्रदूषणकारी वाहनों पर भी प्रभावी नियंत्रण किया जा सकेगा। साथ ही स्वच्छ ईंधन आधारित वाहनों को प्रोत्साहन, सड़क धूल नियंत्रण, वृक्षारोपण, और वायु निगरानी नेटवर्क के विस्तार जैसे कदमों पर भी काम किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि उत्तराखंड आने वाले वर्षों में देश का सबसे स्वच्छ पर्वतीय राज्य बने। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ग्रीन सेस राज्य की पर्यावरण नीति को और सशक्त बनाएगा, जिससे स्वच्छ वायु-स्वस्थ जीवन का लक्ष्य तेजी से हासिल किया जा सकेगा।

