July 4, 2025
उत्तराखंड

काशीपुर में पांच अवैध मजारें ध्वस्त, प्रदेश में अब तक हटाई जा चुकी हैं 537 मजारें..

काशीपुर में पांच अवैध मजारें ध्वस्त, प्रदेश में अब तक हटाई जा चुकी हैं 537 मजारें..

 

उत्तराखंड: काशीपुर स्थित कुंडेश्वरी क्षेत्र में जिला प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करते हुए सरकारी सीलिंग भूमि से अतिक्रमण हटाया है। धार्मिक आड़ में बनाए गए पांच अवैध मजारों को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया गया। जानकारी के अनुसार यह भूमि सरकारी आमबाग से संबंधित है, जिस पर कुछ लोगों ने गैरकानूनी रूप से ढांचे खड़े कर कब्जा कर रखा था। प्रशासन ने मौके पर सुरक्षा व्यवस्था के बीच कार्रवाई को अंजाम दिया और साफ संदेश दिया कि किसी भी प्रकार का अवैध अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह किसी भी रूप में हो। स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, यह कार्रवाई अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत की गई है और भविष्य में भी इस तरह की कार्रवाई जारी रहेगी।

यह कार्रवाई एसडीएम अभय प्रताप सिंह के नेतृत्व में की गई, जब प्रशासन द्वारा दिए गए नोटिस के बावजूद निर्धारित समयसीमा में कोई वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। प्रशासन का कहना है कि यह भूमि सरकारी आमबाग की है, जिस पर कुछ लोगों ने धार्मिक ढांचों के माध्यम से अवैध कब्जा कर रखा था। मौके पर पुलिस बल की मौजूदगी में सभी ढांचों को बुलडोजर से ध्वस्त किया गया। बता दें कि यह कोई पहली कार्रवाई नहीं है। सीएम धामी के नेतृत्व में चलाए जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत अब तक प्रदेशभर में 537 अवैध मजारें हटाई जा चुकी हैं। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि धार्मिक आस्था की आड़ में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सीएम पुष्कर सिंह धामी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उत्तराखंड में आस्था का सम्मान होगा, लेकिन उसका दुरुपयोग किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि सरकारी ज़मीन पर नीली या पीली चादर चढ़ाकर कब्जा करने की कोशिश धर्म नहीं, बल्कि अवैध मंशा है, और ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। धामी सरकार अब तक प्रदेशभर में 537 अवैध मजारों को हटाने की कार्रवाई कर चुकी है। कुंडेश्वरी में हुई ताजा कार्रवाई यह दर्शाती है कि राज्य सरकार सिर्फ फाइलों तक सीमित नहीं है, बल्कि जमीन पर भी कठोर निर्णयों को अमल में ला रही है। सरकार का यह अभियान उत्तराखंड की प्राकृतिक संपदा और सांस्कृतिक धरोहर को अतिक्रमण से बचाने की दिशा में एक ठोस प्रयास है। कुंडेश्वरी की यह कार्रवाई राज्य में मजबूत प्रशासनिक इच्छाशक्ति और निष्पक्ष कार्रवाई का प्रतीक बनकर सामने आई है।

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