उत्तराखंड में इको टूरिज्म को मिलेगी रफ्तार, पहले चरण में 20–25 डेस्टिनेशन होंगे विकसित..
उत्तराखंड: प्रदेश में इको टूरिज्म के विकास को लेकर राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) की बैठक सोमवार को मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में सचिवालय सभागार में आयोजित की गई। बैठक में वन विभाग समेत विभिन्न संबंधित विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया। इस दौरान राज्य में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए वर्तमान प्रयासों, योजनाओं और भावी रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में प्राकृतिक स्थलों पर पर्यटन सुविधाओं का विकास, स्थानीय समुदाय की भागीदारी बढ़ाने पर जोर, पर्यावरण संतुलन बनाए रखते हुए पर्यटन गतिविधियों को विस्तार देना, ईको ट्रेल्स, होमस्टे, और बर्ड वॉचिंग जैसे सस्टेनेबल मॉडल्स को बढ़ावा देना जैसे मुख्य बिंदु पर चर्चा हुई। मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता को सहेजते हुए इको टूरिज्म का विस्तार किया जाएगा, ताकि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ सकें और पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित किया जा सके। बैठक में मुख्य सचिव ने वन विभाग को निर्देशित किया कि पूरे राज्य में जबरखेत मॉडल आधारित बड़े इको टूरिज्म डेस्टिनेशन डेवलप करें। इको टूरिज्म का एक बहुत बड़ा डेस्टिनेशन हो जिसके चारों ओर छोटे-छोटे डिस्टेंस पर फॉरेस्ट टूरिज्म से संबंधित छोटे-छोटे फॉरेस्ट टूरिस्ट स्टेशन हो।
जहां पर इको टूरिज्म से संबंधित विविध प्रकार की एक्टिविटी (फॉरेस्ट ट्रैकिंग, बर्ड वाचिंग, वाइल्डलाइफ सफारी, हेरिटेज ट्रेल, इको कैंपिंग, नेचर एडवेंचर, नेचर गार्डन इत्यादि) मौजूद हो। इसको एक पूरे पैकेज की भांति डेवलप करें। इस बात का भी होमवर्क करें कि इसका बेहतर संचालन कैसे संभव हो अर्थात डेस्टिनेशन के डेवलपमेंट से लेकर, उसकी मार्केटिंग और उसका प्रभावी संचालन कैसे हो इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए कार्य करें।
सोमवार को मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में हुई राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पहले चरण में 20 से 25 इको टूरिज्म डेस्टिनेशन विकसित किए जाएंगे। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि ऐसे स्थलों का चयन किया जाए जहां विकास की व्यापक संभावनाएं हैं और जिनका विकास सुलभ और समर्थनीय हो। इस दौरान वन विभाग और पर्यटन विभाग सहित अन्य संबंधित एजेंसियों को संयुक्त रूप से कार्ययोजना तैयार करने को कहा गया। मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य को संतुलित पर्यटन विकास की दिशा में ले जाने के लिए बड़े पर्यटन केंद्रों के साथ-साथ छोटे और मंझले स्थलों को भी विकसित किया जाएगा। इसका उद्देश्य है कि कम प्रसिद्ध लेकिन सुंदर और जैविक दृष्टि से समृद्ध स्थल भी राज्य के पर्यटन मानचित्र पर उभर सकें।
उनका कहना हैं कि नंदा देवी पिक जो की 80 के दशक से बंद है वहां पर किस प्रकार से पुनः इको टूरिज्म की संभावना है तलाशी जा सकती हैं इसकी भी स्टडी करें। मुख्य सचिव ने वन विभाग को निर्देशित किया कि राज्य के प्राकृतिक संसाधनों (वन एवं वन्य जीवों) का संरक्षण करते हुए स्थानीय समुदाय के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने पर जोर दें। इस दौरान बैठक में सचिव वन सी रवि शंकर, पीसीसीएफ धनंजय मोहन, मुख्य वन संरक्षक राहुल, अपर सचिव पर्यटन डॉ पूजा गर्ब्याल, अपर सचिव वन विनीत कुमार, सीसीएफ इको टूरिज्म पी के पात्रों सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।


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