November 17, 2025
उत्तराखंड

उत्तराखंड की सौर परियोजनाओं में देरी, तीनों एजेंसियां पहुंचीं विद्युत नियामक आयोग..

उत्तराखंड की सौर परियोजनाओं में देरी, तीनों एजेंसियां पहुंचीं विद्युत नियामक आयोग..

 

उत्तराखंड: उत्तराखंड में निर्धारित समय पर सोलर प्रोजेक्ट पूरे न कर पाने के चलते यूपीसीएल, यूजेवीएनएल और उरेडा ने अब उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग से राहत की मांग की है। इन एजेंसियों ने परियोजनाओं की वाणिज्यिक संचालन तिथि को आगे बढ़ाने के लिए आयोग में याचिका दाखिल की है। आयोग ने इस याचिका पर आठ सितंबर तक सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की हैं। उत्तराखंड की तीन सौर ऊर्जा परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं हो पाईं। इनमें डाकपत्थर (2.5 मेगावाट), ढालीपुर (6.25 मेगावाट) और कुल्हाल (9.5 मेगावाट) निर्धारित समय तक पूरी नहीं हो सकीं। इनकी वाणिज्यिक संचालन तिथि 11 फरवरी 2025 तय की गई थी, लेकिन जमीन अधिग्रहण और अन्य प्रक्रियात्मक अड़चनों के कारण प्रोजेक्ट निर्माण कार्य में देरी हुई है। अब एजेंसियां समयसीमा बढ़वाने के प्रयास में लगी हैं।

उत्तराखंड में सौर परियोजनाओं की समयसीमा बढ़ाने की कोशिशें फिर तेज हो गई हैं। यूपीसीएल, यूजेवीएनएल और उरेडा समेत 12 निजी फर्मों ने उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग से एक बार फिर प्रोजेक्ट डेडलाइन बढ़ाने की अपील की है। आयोग ने इस पर सभी हितधारकों और आम जनता से 8 सितंबर तक लिखित सुझाव मांगे हैं। बता दे कि इससे पहले भी आयोग ने कई सौर परियोजनाओं की समयसीमा बढ़ाने के अनुरोध को खारिज कर दिया था। साथ ही उरेडा को 12 फर्मों के अनुमति पत्र निरस्त करने के निर्देश दिए थे। इन आदेशों के खिलाफ उरेडा ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, जिसे आयोग ने ठुकरा दिया।अब तीसरी बार समयसीमा विस्तार की मांग की गई है। जनता अपने सुझाव सचिव, उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग, विद्युत नियामक भवन, आईएसबीटी के पास, देहरादून-248171 या ईमेल के माध्यम से secy.uerc@gov.in पर भेज सकती है।

12 फर्मों का तर्क, कोविड के कारण पूरा न हो पाया निर्माण..

उत्तराखंड की 12 सौर ऊर्जा कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। वर्ष 2013 की सौर ऊर्जा नीति के तहत सोलर प्रोजेक्ट हासिल करने वाली इन कंपनियों की पुनर्विचार याचिका उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने 24 जुलाई को खारिज कर दी। इससे पहले आयोग ने 27 मार्च को स्वत: संज्ञान लेते हुए सभी परियोजनाओं के आवंटन को रद्द कर दिया था। उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा अभिकरण (उरेडा) ने इन कंपनियों को 2019-20 में निविदा प्रक्रिया के तहत प्रोजेक्ट दिए थे, जिन्हें एक वर्ष में तैयार करना था। कोविड के कारण निर्माण कार्यों में देरी हुई और निर्धारित समय पर काम पूरा नहीं हो सका। याचिका खारिज होने के बाद अब तीसरी बार ये कंपनियां समयसीमा बढ़वाने के लिए आयोग के पास पहुंची हैं। जिन 12 कंपनियों की याचिका खारिज हुई है, इस साल 27 मार्च को नियामक आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इन सभी फर्मों की परियोजनाओं के आवंटन को रद्द कर दिया था। सभी ने नियामक आयोग में पुनर्विचार याचिका दायर की थीं, जिसे 24 जुलाई को आयोग ने खारिज कर दिया था। इनमें पीपीएम सोलर एनर्जी, एआर सन टेक, पशुपति सोलर एनर्जी, दून वैली सोलर पावर, मदन सिंह जीना, दारदौर टेक्नोलॉजी, एसआरए सोलर एनर्जी, प्रिस्की टेक्नोलॉजी, हर्षित सोलर एनर्जी, जीसीएस सोलर एनर्जी, देवेंद्र एंड संस एनर्जी, डेलीहंट एनर्जी के नाम शामिल हैं।

 

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