November 17, 2025
उत्तराखंड

डिजिटल भूमि रिकॉर्ड प्रोजेक्ट, फ्लाइंग सर्वे के बाद भू-सत्यापन की तैयारी, राजस्व कर्मियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण..

डिजिटल भूमि रिकॉर्ड प्रोजेक्ट, फ्लाइंग सर्वे के बाद भू-सत्यापन की तैयारी, राजस्व कर्मियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण..

 

 

उत्तराखंड: उत्तराखंड सरकार ने भूमि प्रबंधन को पारदर्शी और आधुनिक बनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। फ्लाइंग सर्वे के बाद अब भू सत्यापन (ग्राउंड ट्रूथिंग) की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए भगवानपुर में राजस्व कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भू सत्यापन प्रक्रिया को सटीक और तेज बनाने के लिए विभाग ने रोवर्स मशीनें खरीदी हैं। इन मशीनों की मदद से मौके पर भूमि का वास्तविक सत्यापन किया जाएगा, जिससे रिकॉर्ड और नक्शों में किसी तरह की त्रुटि न रहे। प्रदेश में ‘नक्शा प्रोजेक्ट’ के तहत चार निकायों को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चयनित किया गया है।इसके तहत अल्मोड़ा, भगवानपुर, किच्छा और नरेंद्र नगर पालिका को चिह्नित किया गया है। इन क्षेत्रों में भूमि का डिजिटल रिकार्ड तैयार करने का काम लंबे समय से चल रहा है। डिजिटल रिकार्ड तैयार होने से भूमि प्रबंधन और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया न केवल पारदर्शी होगी बल्कि भूमि विवादों में कमी भी आएगी। साथ ही निवेश और विकास कार्यों के लिए सटीक भूमि जानकारी उपलब्ध कराना आसान होगा।

उत्तराखंड में भूमि प्रबंधन को आधुनिक और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा है। नक्शा प्रोजेक्ट के तहत चयनित चार निकायों में भूमि का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत अल्मोड़ा, भगवानपुर, किच्छा और नरेंद्र नगर को चिह्नित किया गया था। इनमें से नरेंद्र नगर को छोड़कर बाकी तीन निकायों में पहले चरण का फ्लाइंग सर्वे (नक्शा तैयार करना) पूरा हो चुका है। नरेंद्र नगर में यह काम अभी जारी है। अब अगले चरण में फ्लाइंग सर्वे से मिली जानकारी का धरातल पर सत्यापन (ग्राउंड ट्रूथिंग) किया जाएगा। इस काम के लिए भगवानपुर में राजस्व कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के बाद टीमें मौके पर जाकर सर्वे के दौरान जुटाए गए आंकड़ों की पुष्टि करेंगी। भू-सत्यापन की प्रक्रिया को और सटीक बनाने के लिए रोवर्स मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। इससे भूमि रिकॉर्ड तैयार करने में पारदर्शिता आएगी और भविष्य में भूमि विवादों को कम करने में मदद मिलेगी। इस प्रोजेक्ट से राज्य में भूमि का डिजिटल डेटा बैंक तैयार होगा, जो रजिस्ट्रेशन, निवेश और विकास योजनाओं के लिए उपयोगी साबित होगा। सरकार का दावा है कि यह कदम प्रदेश को आधुनिक भूमि प्रबंधन व्यवस्था की ओर ले जाएगा।

करीब 10 दिन तक राजस्व कर्मियों को प्रशिक्षण देने के साथ ही भगवानपुर में फील्ड कार्य भी कराया जाएगा। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद टीमें संबंधित निकायों में सत्यापन करेंगी। इसके लिए रोवर्स मशीनें (जमीन की डिजिटल मैपिंग के काम आता) भी खरीदी गई हैं। चारों निकायों में सत्यापन का काम नवंबर तक पूरा करने का लक्ष्य है। स्थलीय सत्यापन के बाद अभिलेखों के मिलान, भूस्वामियों का पक्ष लेने का काम होगा। इन प्रक्रियाओं के बाद डिजिटल तौर पर पहली बार भूमि का रिकार्ड तैयार हो सकेगा। चार निकायों में भूमि का डिजिटल रिकार्ड तैयार करने का काम चल रहा है। अब ग्राउंड ट्रूथिंग का काम शुरू किया जाना है, इसके लिए प्रशिक्षण शुरू किया गया है। भूमि का डिजिटल रिकार्ड तैयार होने से भूमि संबंधी विवादों में कमी आ सकेगी। योजनाओं को तैयार करने में मदद मिलेगी।

 

 

 

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