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उदीयमान खिलाड़ी योजना की चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में, तकनीकी खेलों के खिलाड़ी हो रहे उपेक्षित..

उदीयमान खिलाड़ी योजना की चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में, तकनीकी खेलों के खिलाड़ी हो रहे उपेक्षित..

 

उत्तराखंड: उत्तराखंड में उदीयमान खिलाड़ी योजना के तहत बच्चों को मिलने वाली 1500 रुपये मासिक छात्रवृत्ति की चयन प्रक्रिया अब सवालों के घेरे में आ गई है। इस योजना में उन बच्चों को वरीयता दी जा रही है जो चयन के दौरान शारीरिक दमखम का प्रदर्शन करते हैं, जबकि टेबल टेनिस, शतरंज जैसे तकनीकी व मानसिक क्षमता आधारित खेलों में निपुण खिलाड़ियों की अनदेखी हो रही है। स्थिति यह है कि दिमागी कौशल और रणनीतिक सोच वाले खेलों में उत्कृष्टता दिखाने वाले बच्चों को न तो उचित मंच मिल रहा है और न ही छात्रवृत्ति का लाभ। खेल प्रेमियों और विशेषज्ञों का कहना है कि चयन प्रक्रिया में संशोधन कर शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की खेल प्रतिभाओं को बराबरी का मौका दिया जाना चाहिए।

हाल में ज्योतिर्मठ से 14 नन्हें मुन्ने टेबल टेनिस खिलाड़ी देहरादून स्थित राष्ट्रीय खेल सचिवालय पहुंचे थे। हरेक बच्चे के गले में कई पदक खनखना रहे थे। उनके कोच विजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि इनमें से ज्यादातर किसान परिवारों से हैं। बच्चों के साथ आए टेबल टेनिस के पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी देवेंद्र कांडपाल ने खेल विभाग के अफसरों से कहा कि उदीयमान योजना के लिए मूल्यांकन सिर्फ बैटरी टेस्ट के आधार पर हो रहा है, जिसमें सिर्फ दमखम देखा जाता है। ऐसे में तकनीकी खेलों के बच्चे सरकारी सहायता से उपेक्षित हो रहे हैं।

भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के मानकों के अनुरूप ही उदीयमान खिलाड़ियों का चयन किया जा रहा है। वहीं, टेबल टेनिस, शतरंज और अन्य इंडोर खेलों के खिलाड़ियों द्वारा छात्रवृत्ति की मांग पर भी सरकार ने सकारात्मक रुख दिखाया है। खेल विभाग ने कहा है कि इस संबंध में जल्द विचार कर उचित निर्णय लिया जाएगा, ताकि मानसिक क्षमता आधारित खेलों से जुड़े बच्चों को भी प्रोत्साहन मिल सके।

 

 

 

 

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