November 18, 2025
उत्तराखंड

ब्रह्मकपाल में पितरों के तर्पण का विशेष महत्व, श्राद्ध पक्ष में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़..

ब्रह्मकपाल में पितरों के तर्पण का विशेष महत्व, श्राद्ध पक्ष में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़..

 

 

उत्तराखंड: पितृ पक्ष के पावन अवसर पर बद्रीनाथ धाम में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। अलकनंदा नदी के किनारे स्थित ब्रह्मकपाल तीर्थ में पितरों के तर्पण के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। श्रद्धालु अपने पितरों का तर्पण करने के बाद भगवान बद्री विशाल के दर्शन के लिए मंदिर जा रहे हैं। माना जाता है कि ब्रह्मकपाल तीर्थ पर पिंडदान और श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। इन दिनों देश के विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु बद्रीनाथ पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि पितृ पक्ष में यहां तर्पण करने का महत्व अनंत गुना बढ़ जाता है। खास बात यह है कि विदेशी श्रद्धालु भी ब्रह्मकपाल में तर्पण करने के लिए विशेष आस्था के साथ पहुंच रहे हैं। पवित्र अलकनंदा तट पर हो रहे इस धार्मिक अनुष्ठान से पूरे क्षेत्र में आध्यात्मिक माहौल बन गया है। बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद से अब तक लाखों श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं और पितृ पक्ष में यह संख्या लगातार बढ़ रही है।

तीर्थ पुरोहित मदन मोहन कोठियाल का कहना हैं कि श्राद्ध पक्ष में ब्रह्मकपाल में श्रद्धालुओं की भीड़ कई गुना बढ़ जाती है। ब्रह्मकपाल को कपालमोचन तीर्थ भी कहा जाता है। मान्यता है कि जब भगवान ब्रह्मा का पांचवां सिर विचलित हो गया था, तब भगवान शिव ने उसे काट दिया था। वह सिर अलकनंदा नदी के किनारे आ गिरा, जो आज भी यहां शिला के रूप में विद्यमान है। इसी कारण यह स्थान पितरों के तर्पण और मोक्ष की प्राप्ति के लिए विशेष माना जाता है।बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से लेकर बंद होने तक श्रद्धालु यहां पिंडदान और तर्पण करने आते हैं, लेकिन श्राद्ध पक्ष में यहां अपार भीड़ उमड़ जाती है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि ब्रह्मकपाल पर तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और जीवन में पुण्य की प्राप्ति होती है।

अलकनंदा तट पर स्थित ब्रह्मकपाल तीर्थ पितरों के तर्पण और पिंडदान के लिए सर्वोत्तम स्थान माना जाता है। मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति ने जीवन में कभी भी कहीं पिंडदान या तर्पण नहीं किया है, तो वह ब्रह्मकपाल आकर यह अनुष्ठान कर सकता है। यहां तर्पण करने के बाद अन्यत्र कहीं और पिंडदान करने की आवश्यकता नहीं रहती, क्योंकि इसे पिंडदान का श्रेष्ठ स्थल माना गया है। ब्रह्मकपाल के तीर्थ पुरोहित हरीश सती ने कहा कि श्राद्ध पक्ष के दौरान यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पितरों का पिंडदान और तर्पण करने पहुंच रहे हैं। उनका विश्वास है कि इस पवित्र स्थल पर तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। हर साल बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से लेकर बंद होने तक देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां तर्पण करने आते हैं, लेकिन श्राद्ध पक्ष में यहां की धार्मिक और आध्यात्मिक आस्था चरम पर होती है। इस अवसर पर ब्रह्मकपाल क्षेत्र में दिनभर वेद मंत्रों की गूंज और धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष माहौल बना रहता है।

 

 

 

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