उत्तराखंड में आपदा प्रभावित क्षेत्रों तक हेलीकॉप्टर से पहुँची राहत सामग्री..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश से आपदा प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों में भारी दिक्कतें आ रही थीं। कई जगहों पर सड़कें टूट जाने और संपर्क मार्ग बाधित होने के कारण लोगों तक खाने-पीने का सामान पहुँचाना मुश्किल हो गया था। हालांकि बुधवार (3 सितंबर) को मौसम साफ होने के बाद जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली और तुरंत ही राहत कार्य तेज़ कर दिए। अगस्त्यमुनि खेल मैदान से हेलीकॉप्टर के जरिए प्रभावित क्षेत्रों में रसद और राहत सामग्री पहुँचाई गई। सबसे पहले उछोला क्षेत्र में आवश्यक सामग्री और खाद्य पदार्थ भेजे गए, वहीं अन्य प्रभावित इलाकों में भी लगातार सामग्री पहुँचाई जा रही है। इसके साथ ही पेयजल और बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए विभागीय टीमें लगातार काम कर रही हैं। संपर्क मार्गों को दुरुस्त करने के प्रयास भी जारी हैं, ताकि राहत सामग्री जमीनी रास्तों से भी प्रभावितों तक आसानी से पहुँचाई जा सके। आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए हेलीकॉप्टर सेवा का उपयोग किया जा रहा है, ताकि किसी भी गांव या बस्ती तक सहायता पहुँचने में देरी न हो।
उत्तराखंड के आपदा प्रभावित इलाकों में राहत और पुनर्वास कार्य लगातार जारी हैं। ग्राम पंचायत स्यूर के स्यूर, बकोला और बरसाल तोक के 60 परिवारों को प्रशासन की ओर से राहत सामग्री उपलब्ध कराई गई। इस दौरान उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी लीलाधर बिष्ट, पूर्ति निरीक्षक और ग्राम प्रधान माहेश्वरी नेगी की मौजूदगी में प्रभावित परिवारों को राशन किट और 5 सोलर लाइट वितरित की गईं। ग्रामीणों की मांग पर इमरजेंसी हालात के लिए ग्राम प्रधान को दो बड़े टेंट भी सौंपे गए। वहीं तालजामण ग्राम के थपौनी तोक में पेयजल आपूर्ति के लिए पीवीसी पाइप पहुँचाई जा रही है। खाट-किमाणा क्षेत्र में पेयजल सप्लाई बहाल कर दी गई है, जबकि सुमाड़ी जल योजना का कार्य भी तेजी से प्रगति पर है। इसके साथ ही आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लगातार मेडिकल कैंप लगाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने दूरस्थ और दुर्गम इलाकों तक पहुँचकर लोगों को प्राथमिक उपचार और दवाइयाँ उपलब्ध कराईं। प्रशासन की सक्रियता से प्रभावित ग्रामीणों को राहत मिलने लगी है और बुनियादी सुविधाएँ धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही हैं।
बुधवार को जखोली ब्लॉक में दो महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराया गया। पहला प्रसव उछोला गांव में हुआ, जहाँ संगीता, पत्नी कुशल सिंह ने एक कन्या शिशु को जन्म दिया। यह प्रसव घर पर एएनएम बीना नेगी, सीएचओ दामिनी सजवान, दाई गोथियारी देवी और आशा कार्यकर्ता दीपा की देखरेख में कराया गया। जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। दूसरा प्रसव जखोली के बक्सीर क्षेत्र के खोड़-डांगी गांव में हुआ। यहाँ 26 वर्षीय नीता देवी, पत्नी बीरपाल सिंह ने सुरक्षित रूप से बच्चे को जन्म दिया। इस प्रसव के लिए प्रभारी चिकित्सा अधिकारी खुशपाल के नेतृत्व में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की टीम ने भारी बारिश के बीच जंगल से होकर करीब 6-7 किलोमीटर की पैदल यात्रा की। गांव पहुँचने के बाद टीम ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्टाफ की मदद से प्रसव सफलतापूर्वक कराया। दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों और लगातार हो रही बारिश के बावजूद चिकित्सा कर्मियों ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए यह सुनिश्चित किया कि जच्चा और बच्चा दोनों सुरक्षित रहें। प्रशासन ने स्वास्थ्य कर्मियों की इस सेवा भावना और समर्पण की सराहना की है।
उत्तराखंड में लगातार बारिश से आपदा प्रभावित इलाकों का हाल जानने के लिए केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल बुधवार को डुंगर-भटवाड़ी, बड़ेथ, पाटियूं और छेनागाड़ पहुंचीं। इस दौरान उनके साथ विभिन्न विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे। विधायक नौटियाल ने आपदा राहत केंद्रों का निरीक्षण किया और प्रभावित ग्रामीणों से मिलकर उनकी समस्याएँ सुनीं। उन्होंने राहत कार्यों और व्यवस्थाओं की बारीकी से समीक्षा की और अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आपदा से प्रभावित परिवारों का सर्वेक्षण और क्षति का आकलन जल्द पूरा कर पुनर्वास की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। प्रभावित क्षेत्रों में फिलहाल विद्युत और पेयजल आपूर्ति बहाल कर दी गई है। पाटियूं तक बाधित मोटर मार्ग को दुरुस्त कर यातायात शुरू कर दिया गया है, जबकि तालजामण तक मार्ग खोलने का कार्य तेजी से जारी है। विधायक नौटियाल ने आश्वस्त किया कि इस आपदा की घड़ी में सरकार हर प्रभावित परिवार के साथ खड़ी है और हरसंभव मदद पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है।


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