मुफ़्ती क़ासमी ने रक्षा मंत्री से की मुलाकात, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर दी बधाई..
उत्तराखंड: मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष मौलाना मुफ़्ती शमून क़ासमी ने मंगलवार को दिल्ली में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस अवसर पर उनके साथ शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों और सूफी विचारधारा से जुड़े प्रतिनिधियों का एक दल भी उपस्थित था। इस शिष्टाचार भेंट के दौरान शिक्षा, सामाजिक समरसता और मदरसा सुधारों से जुड़े विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। मुफ़्ती क़ासमी ने मदरसों में आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के समावेश जैसे प्रस्तावों पर भी अपनी बात रखी। बैठक में उपस्थित प्रतिनिधिमंडल ने देश में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने, युवाओं को राष्ट्र निर्माण की मुख्यधारा से जोड़ने, और शिक्षा के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की आवश्यकता पर बल दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को ध्यानपूर्वक सुना और देशहित में सार्थक संवाद और सहयोग का आश्वासन दिया।
मुलाकात के दौरान मुफ़्ती क़ासमी ने रक्षा मंत्री को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर करारा प्रहार किया है। इस साहसिक कार्रवाई से न केवल देशवासियों में विश्वास बढ़ा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की रणनीतिक क्षमता और सुरक्षा नीति की सराहना हो रही है। बैठक में मदरसा शिक्षा में सुधार, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के समावेश, तथा राष्ट्र निर्माण में मुस्लिम युवाओं की भागीदारी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। प्रतिनिधिमंडल ने रक्षा मंत्री को आश्वस्त किया कि वे देशहित में समरसता, शांति और विकास की दिशा में निरंतर प्रयासरत रहेंगे।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि देश की सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक और शैक्षिक समावेशन भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
उन्होंने रक्षा मंत्री से मांग की कि ऑपरेशन सिंदूर में शहीद हुए सैनिकों और जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी हमले में मारे गए आम नागरिकों के परिजनों को विशेष आर्थिक सहायता दी जाए। मुफ़्ती क़ासमी ने जानकारी दी कि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड अपने नए पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल करने पर विचार कर रहा है। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि मदरसों में पढ़ने वाले छात्र भी देश की सैन्य उपलब्धियों और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जागरूक हो सकें।


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