raibarexpress Blog Uncategorized महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल, हज कमेटी में मिली मुस्लिम महिलाओं को जगह- सीएम धामी..
Uncategorized

महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल, हज कमेटी में मिली मुस्लिम महिलाओं को जगह- सीएम धामी..

महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल, हज कमेटी में मिली मुस्लिम महिलाओं को जगह- सीएम धामी..

 

 

 

उत्तराखंड: धामी सरकार ने मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी की पहल पर राज्य की तीन मुस्लिम महिलाओं को पहली बार राज्य हज कमेटी में नामित किया गया है। यह निर्णय न केवल समावेशिता और प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देता है, बल्कि महिलाओं की भागीदारी को भी नई दिशा देता है। इस कदम को धामी सरकार की महिला सशक्तिकरण और अल्पसंख्यक कल्याण की प्रतिबद्धता के रूप में देखा जा रहा है। हज यात्रा जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक दायित्व में महिलाओं की सीधी भागीदारी सुनिश्चित करना समान अधिकार और अवसर की दिशा में एक बड़ा संदेश है। राज्य सरकार के इस फैसले का मुस्लिम समाज की ओर से स्वागत किया जा रहा है। यह पहला मौका है जब उत्तराखंड हज कमेटी में महिलाएं प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हुई हैं।

शासन की ओर से जारी की गई कमेटी सूची में कोटद्वार निगम पार्षद की रिजवाना परवीन, हल्द्वानी की तरन्नुम खान और अल्मोड़ा की शाहिदा सिराज को स्थान दिया गया है। समिति में लक्सर के विधायक शहजाद को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है। इसके साथ ही जिशान अहमद, हसीब अहमद, इस्लामुद्दीन अंसारी, समीर जाफरी, खतीब अहमद, मन्नान राजा, हाजी अबरार हुसैन, हाजी फईम खान को भी समिति में नामित किया गया है।

सीएम पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि उनकी सरकार मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर प्रतिबद्ध है। इसी सोच के तहत उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पहली बार मुस्लिम महिलाओं को हज कमेटी में प्रतिनिधित्व दिया गया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाएं भी हज यात्रा करती हैं, इसलिए उनकी आवाज़ हज कमेटी में भी सुनाई देनी चाहिए। वे हज से जुड़े फैसलों में सुझाव दे सकें, इसके लिए यह प्रतिनिधित्व बेहद जरूरी था। सीएम ने यह भी उल्लेख किया कि सायरा बानो को पूर्व में राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष बनाकर सरकार ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि महिला सशक्तिकरण केवल नारा नहीं, व्यवहारिक पहल है। हज कमेटी में महिला प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कर सरकार ने एक ओर जहां सामाजिक समावेशिता को बल दिया है, वहीं दूसरी ओर यह संदेश भी दिया है कि धार्मिक और सामाजिक संस्थानों में महिलाओं की भागीदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

 

 

Exit mobile version