महिला स्वयं सहायता समूहों का लोन बढ़कर 10 लाख, 21 हजार तक बिना गारंटी की सुविधा..
उत्तराखंड: संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया है। इसी क्रम में देशभर में सहकारिता के विस्तार और सशक्तिकरण के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उद्देश्य है कि सहकारिता संस्थाओं के टर्नओवर में वृद्धि कर किसानों, महिला समूहों और आम परिवारों की आय को बढ़ाना। उत्तराखंड सहकारिता विभाग ने भी इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए अपना सालाना टर्नओवर 500 करोड़ से बढ़ाकर 3000 करोड़ रुपए करने का लक्ष्य रखा है। विभाग का कहना है कि इस पहल से राज्य की सहकारी समितियां मजबूत होंगी और अधिक लोगों को रोजगार व आर्थिक सहायता के अवसर मिलेंगे। योजना के तहत गरीब परिवारों के बच्चों को सस्ते दरों पर शिक्षा ऋण, महिला समूहों को बिना गारंटी के लोन और बुजुर्गों को भारत दर्शन यात्राओं के लिए वित्तीय सहायता देने का निर्णय लिया गया है। विभाग का मानना है कि इससे सहकारिता आंदोलन को नई पहचान मिलेगी और अधिक से अधिक लोग सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहल राज्य की ग्रामीण और शहरी दोनों अर्थव्यवस्थाओं में संतुलन लाने के साथ-साथ आर्थिक सशक्तिकरण का नया मॉडल बन सकती है।
उत्तराखंड सहकारिता विभाग ने अपनी आय बढ़ाने और आम जनता तक सीधे लाभ पहुंचाने के लिए नई दिशा में कदम बढ़ाया है। विभाग की ओर से गुरुवार को आयोजित सहकारी सम्मेलन में गढ़वाल मंडल की सहकारी संस्थाओं और सहकारिता से जुड़े प्रतिनिधियों के साथ व्यापक चर्चा की गई। सम्मेलन में विभाग ने अपने व्यवसाय को नई ऊंचाई देने के लिए चार बड़े पहल शुरू करने की घोषणा की। इसके तहत मिनिरल वॉटर, होम सेनिटेशन के प्रोडक्ट्स, पीओएस (पॉइंट ऑफ़ सेल) का मॉडल और बायो फर्टिलाइजर को मार्केट में उतरा जाएगा। इससे न सिर्फ सहकारिता की आय बढ़ेगी बल्कि आम जनता को शुद्ध पानी के साथ ही किसानों की बायो फर्टिलाइजर भी सस्ते दरों पर मिल सकेंगे। अधिकारियों का कहना है कि इन पहलों से न केवल सहकारिता विभाग की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, बल्कि जनता को शुद्ध पानी और सस्ते सेनिटेशन प्रोडक्ट्स उपलब्ध होंगे। साथ ही किसानों को भी बायो फर्टिलाइजर सस्ती दरों पर मिल सकेगा, जिससे कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि ये कदम सहकारिता आंदोलन को नए आयाम देंगे और प्रदेश में आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होंगे।
उत्तराखंड में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के मौके पर सहकारिता विभाग ने बड़े स्तर पर कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की है। सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने गुरुवार को जानकारी दी कि इस वर्ष विभाग द्वारा राज्य के हर जिले में 7-7 दिन के कोऑपरेटिव मेले आयोजित किए जाएंगे। ये मेले 3 अक्टूबर से 30 दिसंबर तक चलेंगे। मंत्री रावत का कहना हैं कि इन मेलों का मुख्य फोकस आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी को बढ़ावा, महिला समूहों का सशक्तिकरण, लखपति दीदी योजना और किसानों की आय दोगुनी करने पर होगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल सहकारिता विभाग का कारोबार लगभग 500 करोड़ रुपए का है, लेकिन लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में इसे बढ़ाकर 3000 करोड़ रुपए तक पहुंचाया जाए। साथ ही छोटे कारोबारियों को दिए जाने वाले लोन की प्रक्रिया को सरल बनाने पर भी काम चल रहा है, ताकि अधिक से अधिक लोग विभाग की योजनाओं से जुड़कर लाभान्वित हो सकें। इस तरह के आयोजन न केवल ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था को मजबूती देंगे बल्कि राज्य में सहकारिता आंदोलन को नई ऊर्जा प्रदान करेंगे।
विभाग ने महिला, बच्चों और बुजुर्गों को सीधा लाभ देने के उद्देश्य से लोन से जुड़ी योजनाओं में बदलाव किए हैं। मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि अब तक महिला स्वयं सहायता समूहों को 5 लाख रुपए तक का लोन दिया जाता था, जिसे बढ़ाकर 10 लाख रुपए करने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही गरीब, बीपीएल और अंत्योदय परिवारों के बच्चों के लिए, जो एमबीबीएस, पोस्ट-ग्रेजुएशन या रिसर्च करना चाहते हैं, सहकारिता विभाग की ओर से सस्ते दरों पर शिक्षा ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अब महिलाएं सहकारिता विभाग से 21 हजार रुपए तक बिना गारंटर के लोन ले सकेंगी। वहीं वे बुजुर्ग, जो आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण भारत दर्शन यात्रा नहीं कर पाते, उनके लिए विभाग ने समूह में यात्रा करने वालों को कम ब्याज दर पर लोन देने की योजना बनाई है। माना जा रहा है कि इन कदमों से न केवल सहकारिता आंदोलन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों को आर्थिक रूप से राहत भी मिलेगी।

