ज्योतिर्मठ के सेब को मिलेगी नई पहचान, उत्तराखंड एप्पल फेडरेशन ने बनाई योजना..
उत्तराखंड: चमोली जिले के ज्योतिर्मठ के सेब को अब नई पहचान मिल सकेगी। उत्तराखंड एपल फेडरेशन ने ज्योतिर्मठ के सेब को बदरीश एपल के नाम से ब्रांडिंग कर बाजार में उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। इसके लिए सेब काश्तकारों को अच्छी प्रजाति की पौध उपलब्ध कराने के साथ ही पैदावार की ग्रेडिंग भी की जाएगी। हर्षिल और हिमाचल प्रदेश के समान भौगोलिक परिस्थितियों वाले ज्योतिर्मठ क्षेत्र के सेब को अभी तक पहचान नहीं मिल पाई है। जबकि यहां का मौसम सेब के लिए बेहद मुफीद बताया जाता है। ज्योतिर्मठ में सीजन में एक हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। स्थानीय काश्तकारों ने क्षेत्र में 250 हेक्टेयर भूमि पर सेब फल पट्टी तैयार की है, लेकिन यहां के सेब की ब्रांड वैल्यू काफी पीछे है।
सेब काश्तकार दीपक सयाना का कहना है कि यहां के सेब की ब्रांडिंग नहीं हो पाती है, जिससे यहां का सेब पहचान नहीं बना पाया है। गौर सिंह कुंवर का कहना है कि सेब की अच्छी पौध उपलब्ध नहीं होना और समय पर दवाएं न मिल पाना भी इसकी वजह है।अब उत्तराखंड एपल फेडरेशन ने नई पहचान दिलाने की कवायद शुरू की है। फेडरेशन के राकेश भंडारी ने बताया कि ज्योतिर्मठ के सेब की बदरीश एपल के नाम से ब्रांडिंग करने की योजना है। सेब काश्तकारों को अच्छी प्रजाति की पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे, साथ ही सेब की ग्रेडिंग की जाएगी। क्षेत्र में 250 हेक्टेयर में सेब की फल पट्टी है, जिसमें एक हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। विभाग की ओर से समय-समय पर सेब काश्तकारों को जागरूक किया जाता है। सेब की पैकिंग के लिए बॉक्स भी विभाग की ओर से उपलब्ध कराए जाते हैं।
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