मुख्य सचिव की चेतावनी, ड्रग्स के खिलाफ सहयोग नहीं करने वाले संस्थानों पर होगी सख्त कार्रवाई..
उत्तराखंड: उत्तराखंड सरकार अब ड्रग्स के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए एक संगठित और सख्त अभियान शुरू करने जा रही है। इस अभियान को “ऑपरेशन कालनेमि” नाम दिया गया है, जो नशे के विरुद्ध चलाए जाने वाले विशेष कार्रवाई कार्यक्रम का प्रतीक होगा। प्रदेश सरकार का यह कदम राज्य के युवाओं को नशे की चपेट में आने से रोकने और समाज में जागरूकता लाने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है। अभियान के तहत अब राज्य के सभी मेडिकल, तकनीकी और उच्च शिक्षण संस्थानों के आसपास स्थित ढाबों, रेस्टोरेंट और अन्य स्थलों पर सघन निगरानी रखी जाएगी। सरकार के निर्देशों के अनुसार, यदि किसी स्थान पर संदिग्ध गतिविधि की सूचना मिलती है तो वहां तुरंत छापेमारी और कार्रवाई की जाएगी। ये सभी क्षेत्र अब पुलिस और प्रशासन की नियमित निगरानी में रहेंगे। ऑपरेशन कालनेमि का उद्देश्य केवल कार्रवाई करना नहीं, बल्कि नशे के नेटवर्क को जड़ से खत्म करना और युवाओं को स्वस्थ दिशा में प्रेरित करना है।
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने मंगलवार को सचिवालय में बैठक ली और अब तक की कार्रवाई पर नाराजगी जताई। उन्होंने संबंधित विभागों को अभियान को और अधिक सख्त, प्रभावी और परिणाममुखी बनाने के स्पष्ट निर्देश दिए। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने उच्च शिक्षण संस्थानों के आसपास पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई को अपर्याप्त बताते हुए असंतोष और नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि युवाओं को नशे के जाल से बचाना सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। मुख्य सचिव ने कहा कि सभी संबंधित विभाग पुलिस, प्रशासन, शिक्षा विभाग और स्थानीय निकाय आपसी समन्वय से काम करें और संवेदनशील क्षेत्रों में नियमित छापेमारी, निगरानी और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षण संस्थानों के आसपास स्थित ढाबों, कैफे, रेस्टोरेंट व संदिग्ध स्थलों पर निगरानी और कड़ी की जाए। इस दौरान नशे के खिलाफ पिछले कुछ महीनों में हुई कार्रवाई की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई, जिसमें कुछ जिलों में धीमी गति से चल रहे अभियान को लेकर मुख्य सचिव ने असंतोष जताया और अधिकारियों को स्पष्ट चेतावनी दी कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि नशे से जुड़ी गतिविधियों में सूचना का इंतजार किए बिना पुलिस और प्रशासन को खुद सक्रिय होकर कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि तकनीकी, मेडिकल और अन्य व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों के आसपास स्थित रेस्टोरेंट, ढाबों और अन्य स्थलों पर निगरानी बढ़ाई जाए। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि अगर किसी शिक्षण संस्थान के आसपास कोई व्यक्ति नशे की हालत में पाया जाता है, तो उसका सैंपल लिया जाए और जांच कराई जाए ताकि यह पता चल सके कि ड्रग्स का स्रोत क्या है और इसे कहाँ से लाया जा रहा है। बैठक में स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार, पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ, अपर सचिव गृह निवेदिता कुकरेती सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। मुख्य सचिव ने अभियान की धीमी प्रगति को लेकर स्पष्ट असंतोष जताया और अधिकारियों को चेताया कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि युवाओं को नशे से बचाने के लिए सभी विभागों को समन्वय के साथ कार्रवाई करनी होगी। साथ ही नशा बेचने वालों की पहचान कर उन्हें कठोरतम सजा दिलाने की प्रक्रिया तेज करने को कहा।
मुख्य सचिव ने स्पष्ट कहा कि जो तकनीकी, मेडिकल और अन्य व्यावसायिक शिक्षण संस्थान ड्रग्स विरोधी अभियान में सहयोग नहीं कर रहे हैं, उन्हें पहले सचेत किया जाए और फिर आवश्यकता पड़ने पर एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए। उन्होंने अधिकारियों से यह भी जानने को कहा कि क्या इन संस्थानों में ड्रग्स के खिलाफ जागरूकता के लिए समितियां गठित की गई हैं या नहीं। यदि समितियाँ बनी हैं, तो यह भी जांचा जाए कि उनकी बैठकें नियमित रूप से हो रही हैं या केवल कागजों तक सीमित हैं। किसी भी तरह की लापरवाही सामने आने पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए। मुख्य सचिव ने ड्रग्स के खिलाफ प्रभावी जागरूकता अभियान चलाने को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया। उन्होंने निर्देश दिए कि इस अभियान में सामाजिक संगठन, युवा मंडल, महिला मंगल दल और एनएसएस जैसे संस्थानों को शामिल किया जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि नशे के दुष्प्रभावों पर आधारित शॉर्ट वीडियो बनाकर उन्हें स्कूलों और कॉलेजों में दिखाया जाए ताकि छात्रों पर सीधा प्रभाव पड़े और वे सचेत हो सकें। उन्होंने कहा कि ये प्रयास केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि सामाजिक भागीदारी के माध्यम से जनआंदोलन बनने चाहिए।


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