November 18, 2025
Uncategorized

5 साल बाद रामनगर संयुक्त अस्पताल फिर से सरकारी, पीपीपी मोड खत्म..

5 साल बाद रामनगर संयुक्त अस्पताल फिर से सरकारी, पीपीपी मोड खत्म..

 

 

उत्तराखंड: रामदत्त जोशी राजकीय संयुक्त चिकित्सालय रामनगर को अब सरकारी नियंत्रण में लाया गया है। इससे पहले यह अस्पताल पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर संचालित हो रहा था, जिसे लेकर लगातार विरोध हो रहा था। पीपीपी मोड के तहत अस्पताल में अव्यवस्थाएं फैलने का आरोप था। मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा था, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में खामियां आ रही थीं। विरोध प्रदर्शनों और अव्यवस्थाओं के कारण अस्पताल का संचालन लंबे समय से चर्चा में था। अब पीपीपी मोड को हटाकर इसे सरकारी नियंत्रण में लाने से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके और अव्यवस्थाओं पर नियंत्रण पाया जा सके।

साल 2020 में पीपीपी मोड पर दिया गया था अस्पताल
2020 में कोरोना काल के दौरान, रामदत्त जोशी राजकीय संयुक्त चिकित्सालय रामनगर को शुभम सर्वम नामक संस्था को पीपीपी मोड पर 3 साल के लिए सौंपा गया था। यह फैसला स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के उद्देश्य से लिया गया था, लेकिन व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो पाया। प्रशिक्षित डॉक्टरों की कमी अस्पताल में एक बड़ी समस्या बनी रही। साथ ही संसाधनों की दयनीय स्थिति और चिकित्सा सेवाओं में गिरावट देखने को मिली। इन अव्यवस्थाओं के चलते मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा था, और अस्पताल की सेवाएं प्रभावित हो रही थीं। अब पीपीपी मोड से हटाकर अस्पताल को सरकारी नियंत्रण में लाया गया है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है और मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा।

 

रेफर सेंटर ही बना रहा अस्पताल

इस कारण स्थानीय लोग और राजनीतिक दल इसे फिर से सरकारी बनाने की मांग करने लगे। कई बार धरना-प्रदर्शन हुए, जिसमें स्थानीय जनता के साथ लैंसडाउन बीजेपी विधायक दिलीप सिंह रावत जैसे नेता भी शामिल रहे। पिछले साल अल्मोड़ा के मर्चूला बस हादसे के बाद कई घायलों को रामनगर के इस सरकारी अस्पताल में लाया गया था, लेकिन बेहतर सुविधाओं के अभाव में मरीजों को अन्य अस्पतालों में रेफर करना पड़ा। इस घटना के बाद खुद स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने घोषणा की थी कि रामनगर अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाया जाएगा। हालांकि, निकाय चुनाव के चलते पीपीपी अनुबंध को 3 माह का अतिरिक्त विस्तार दिया गया, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई थी।

बीजेपी नेताओं पर लगाए गए थे ये आरोप

कई बीजेपी नेताओं पर पीपीपी मोड को संरक्षण देने के आरोप लगे. जिसका असर स्थानीय निकाय चुनावों में भी दिखा और बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद सरकार ने स्पष्ट संकेत दिए कि अस्पताल को अब पीपीपी मोड से हटाया जाएगा। नैनीताल सीएमओ यानी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरीश पंत ने खुद रामनगर सरकारी अस्पताल पहुंचकर निरीक्षण किया और हैंडओवर प्रक्रिया पूरी की। इस दौरान उन्होंने व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि अस्पताल में डॉक्टरों, स्टाफ नर्सों और अन्य कर्मचारियों की तैनाती कर दी गई है। डॉक्टरों की कमी को जल्द पूरा करने की प्रक्रिया चल रही है। अस्पताल में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति की जाएगी। स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी कर इसे एक मॉडल हॉस्पिटल के रूप में विकसित किया जाएगा।

वहीं अस्पताल के फिर से सरकारी होने की खबर से स्थानीय लोग बेहद खुश नजर आ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पीपीपी मोड में यहां प्रशिक्षित डॉक्टरों के बजाय अनुभवहीन लोग तैनात थे, जिससे इलाज में परेशानी होती थी। अब अनुभवी डॉक्टरों की तैनाती से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा और क्षेत्र की जनता को लाभ मिलेगा।

 

 

 

    Leave feedback about this

    • Quality
    • Price
    • Service

    PROS

    +
    Add Field

    CONS

    +
    Add Field
    Choose Image
    Choose Video

    X